सूडान हादसा: सोच समझकर ही विदेशयात्रा करें भारतीय
आर. के. सिन्हा
अफ्रीकी देश सूडान में 18 भारतीय मज़दूरों के एक हादसे में जाने की खबर से पूरा देशआहत है। सरकार अब उन अभागे मज़दूरों केशव भारत लाने के काम को कर रही है।गनीमत है कि भारत सरकार आज के दिन कमसे कम उन लोगों की सुध लेती है जो रोजी-रोटीके लिए सात समुंदर पार जाते हैं। कई वर्षों तकइनके बारे में महज छोटी सी खबरें ही छप जातीथीं। कभी लापता होने की खबर तो, कभी मारेजाने की। या फिर ठगी के बाद निराश होकरस्वदेश वापस लौटने की। ऐसी खबरों के बादतत्कालीन सरकारें महज रस्म अदायगी सा करतेहुए एक आत्मा विहीन बयान जारी कर अपनेकर्त्तव्य की इतिश्री कर देती थीं। आज हमारेसक्रिय विदेश मंत्रालय के कारण मोदी-राज मेंयह तो संभव हो पाया है कि दूर गए लोगों कोतत्काल पर्याप्त मदद तो पहुंचती है।
फिल्म 'नाम' का एक मशूहर गाना है, जिसकेबोल हैं, चिट्ठी आई है... बड़े दिनों के बाद...।उसी में एक जगह गीतकार कहता है “आजा किउमर बहुत है छोटी, अपने घर में भी है रोटी...।”यहां काबिले गौर है कि बिहार, पंजाब, हरियाणा,हिमाचल प्रदेश, केरल सहित देश के कई राज्योंसे हजारों युवक-युवतियां हर साल रोजी-रोजीकमाने विदेश जाते हैं। एक अनुमान के मुताबिकअनेक युवा तो सिर्फ विदेश जाने को लेकर एकखास 'क्रेज' के तहत यह कदम उठाते हैं।हालांकि रोजगार की तलाश में भी अनेकों लोगजाते हैं । लेकिन, अपने सीधेपन के कारण वेवहां मुसीबत में भी फंस जाते हैं। बेशक भारतसरकार और उसका विदेश मंत्रालय आज केदिन तत्काल प्रभाव से ऐसे लोगों की मदद करताहै । फिर भी यही कहना यथोचित होगा किविदेश जाने के 'क्रेज' से युवाओं को भरसकबचना चाहिए। आज तो रोजगार की अपारसंभावनाएं अपने देश में भी हैं। यहां के हजारोंयुवा उधमी ही तरक्की के नित नए सोपान गढ़रहे हैं। दुनिया के मल्टीनेशनल कंपनियों के टॉपपदों पर आज भारतीयों का ही डंका बज रहा है। स्टार्ट अप इंडिया, स्किल इंडिया जैसी अनेकयोजनाएं हैं, जिनमें युवाओं को अपने ही देश मेंबहुत कुछ करने का मौका मिलता है।
असल में सूडान की हालिया घटनाओं के बादयह लिखना मौजूं है कि भारत सरकार दूर गएअपनों के लिए आज कितनी संवेदनशील है।निश्चित तौर पर अफ्रीकी देश सूडान में 18भारतीय मजदूरों के एक हादसे में मारे जाने कीखबर दिल दहलाने वाली है। उधर, नाइजीरियामें 18 भारतीयों का समुद्री डाकुओं द्वाराअपहरण किया जाना भी खौफनाक है। अपनेदेश से हजारों किलोमीटर दूर कामकाज के लिएगए भारतीय मजदूरों के हताहत होने की खबरसे देश तो आज शोकाकुल है ही। भारत सरकारने महज औपचारिकता नहीं की, बल्कि तत्कालजरूरी कदम उठाये। नाइजीरिया से अपहृतभारतीयों के बारे में भी भारत सरकार लगातारवहां के अधिकारियों के संपर्क में है।