क्यों भारत आ गया था जिन्ना का हिन्दू मंत्री
आर. के. सिन्हा
नागरिकता संशोधन बिल पर संसद के दोनोंसदनों में गहन चर्चा के बाद इसे पारित करदिया गया। अब राष्ट्रपति ने भी इस पर मोहरलगा दी है। यानी इसने अब कानून की शक्ल लेली है। इस मुद्दे पर चर्चा के समय पाकिस्तानऔर बांग्लादेश में हिंदुओ की दर्दनाक स्थिति परविस्तार से चर्चा हुई। पाक में हिन्दुओ कीहालत को जानने के लिये मोहम्मद अली जिन्नाके पोस्टर ब्वाय कहे जाने-वाले जे. एन. मंडल केसाथ पाक में जो कुछ भी हुआ था उसे भी यादकरना एक बार जरूरी हो गया है। मंडल दलितहिन्दू थे और बाबा साहेब अम्बेडकर से बहुतप्रभावित थे। वे ईस्ट बंगाल में जिन्ना की मुस्लिमलीग के ही नेता भी थे। देश के विभाजन के बादउन्होंने पाक में ही रहना पसंद किया। जिन्ना नेउन्हें अपनी कैबिनेट में जगह भी दी। पर मंडलने 1951 में पाक छोड़ दिया और कोलकाता आगए। क्योंकि, पाक में हिन्दुओ पर जुल्म तोलगातार बढ़ते ही जा रहे थे। उन्हें भी जलीलकिया जा रहा था। इसी से समझ लें कि पाक मेंहिन्दुओ के साथ शुरू से ही क्या होता रहा है।
लेकिन,यह समझ नहीं आया कि विपक्ष इसविधेयक का लगातार विरोध क्यों करता रहा।वह इसे संविधान विरोधी बता रहा है। पूरी बहसमें कांग्रेसी वही भाषा बोलते रहे जो किपाकिस्तान के मंत्री और सैनिक जेनरल बोल रहेहैं । इस विधेयक के खिलाफ असम सहितपूर्वोत्तर के कई राज्यों में वामपंथी और कांग्रेसीनेताओं के उकसाने पर हिंसक प्रदर्शन हो रहे हैं।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने और अबप्रधानमंत्री मोदी ने भी बार-बार साफ़ किया किनागरिकता संशोधन विधेयक मुसलमानों को यापूर्वोत्तर राज्यों को किसी तरह से नुकसानपहुंचाने वाला नहीं है। उन्होंने कहा कि अगर देशका विभाजन धर्म के आधार पर न हुआ होताऔर पाकिस्तान,अफगानिस्तान और बांग्लादेशमें अल्पसंख्यकों पर अत्याचार न हुए होते तोयह विधेयक लेकर आने की जरूरत ही नहींपड़ती।
यह जानना जरूरी है कि जो बिल संसद से पासहुआ है, वह आख़िरकार है क्या? यह नागरिकताअधिनियम 1955 में एक बार फिर बदलावकरेगा। इसके तहत बांग्लादेश, पाकिस्तान,अफगानिस्तान समेत आस-पास के देशों सेभारत में आने वाले उन देशों के अल्पसंख्यकयानि हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी धर्म वालेलोगों को भारत में सम्मानपूर्वक नागरिकता दीजाएगी।
अब अफगानिस्तान, बांग्लादेश, पाकिस्तान जैसेदेशों से जो गैर-मुस्लिम शरणार्थी भारत आएंगे,उन्हें यहां की नागरिकता मिलना आसान होजाएगा। इसके लिए उन्हें भारत में कम से कम 6साल बिताने होंगे। पहले नागरिकता देने कापैमाना 11 साल से अधिक था। इसका मतलबयह नहीं है कि जो मुस्लिम समुदाय के लोगपाकिस्तान या बांग्लादेश में किसी कारण सेप्रताड़ित हो रहे हैं उन्हें भारत सरकार शरण नहींदेगी । गृह मंत्री अमित शाह ने बताया कि मोदीसरकार ने ऐसे 566 मुसलमानों को भी भारत मेंशरण दी है। लेकिन, इस मसले पर विपक्ष नेकेंद्र सरकार को घेरा। विपक्ष का मुख्य विरोधधर्म को लेकर है। नए संशोधन बिल में मुस्लिमोंको छोड़कर अन्य धर्मों के लोगों को आसानी सेनागरिकता देने का फैसला किया गया है। विपक्षइसी बात को उठा रहा है और मोदी सरकार केइस फैसले को धर्म के आधार पर बांटने वालाबता रहा है ।
इस बीच, भारत और हिन्दू राष्ट्र को अलग अलगव्याख्यायित करने वाले लोगो को यह संज्ञान मेंलेना भी आवश्यक है की भारत का अस्तित्वहिन्दू सनातन धर्म की सहिष्णुता और विविधताकी स्वीकार्यता के मौलिक सिद्धांत पर आधारितहै। और भारत कभी किसी राष्ट्र की अवधारणामें अनादि से विश्वास