शरद पवार-सोनिया गांधी के बीच हुए एक फोन कॉल ने चौपट कर दिया
सुबह कांग्रेस की ओर से सोनिया गांधी ने शिवसेना को समर्थन देने का विरोध किया और चर्चाओं को लेकर आपत्ति जताई. उनका मानना है कि शिवसेना की हिंदुत्व समर्थक और कट्टर विचार वाली छवि की वजह से कांग्रेस को चुनावी नुकसान होगा. उन्होंने पार्टी के वरिष्ठ नेता एके एंथनी और केसी वेणुगोपाल, मुकुल मिस्चानी और राजीव सातव का समर्थन करते हुए ये तर्क रखा. वहीं इसे लेकर महाराष्ट्र कांग्रेस नेताओं जैसे सुशीलकुमार शिंदे, अशोक चौहान, पृथ्वीराज चौहान, बालासाहेब गले ने बीजेपी को सत्ता से दूर रखने के लिए शिवसेना को समर्थन देने के कदम को सही माना.
शाम 5 बजे के करीब उद्धव ठाकरे ने सोनिया गांधी को फोन किया और समर्थन देने का औपचारिक निवेदन किया. कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि वे विचार करने के बाद उनसे वापस बात करेंगी लेकिन लगभग 1 घंटे बाद ही शरद पवार ने सोनिया गांधी से बात की और कुछ अनिच्छा व्यक्त करते हुए कहा कि शिवसेना को समर्थन देने का वादा करना जल्दबाजी होगी. पवार ने कथित तौर पर सोनिया गांधी से कहा कि शक्ति बंटवारे को लेकर कई पहलुओं पर अभी भी बातचीत की जरूरत है, और उन्होंने शिवसेना को समर्थन का पत्र नहीं दिया है. उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी शिवसेना से सिर्फ 2 सीट कम है. इस बात से ऐसा लगा कि उनका इशारा इस बात पर पुनर्विचार करने का है कि शिवसेना को पूरे कार्यकाल के लिए मुख्यमंत्री का पद मिलना चाहिए या नहीं . क्या पवार शक्ति के बंटवारे की ओर संकेत कर रहे थे
ये सब एनसीपी के उस दावे के विपरीत है जहां वह शिवसेना को समर्थन देने के लिए तैयार थी, लेकिन कांग्रेस ने सारा खेल बिगाड़ दिया. एनसीपी नेता अजीत पवार ने मीडिया को बताया, "सोमवार सुबह 10 बजे से सोमवार शाम 7:30 बजे तक, शरद पवार, प्रफुल्ल पटेल सहित हमारे नेता उनके पत्र का इंतजार कर रहे थे. उन्हें (शिवसेना) 7:30 बजे तक पत्र जमा करना था. यदि कांग्रेस अपना समर्थन पत्र नहीं भेज रही थी, तो हम हमारा कैसे दे सकते थे. ”
हालांकि कांग्रेस इसके पीछे की वजह को शरद पवार का यू-टर्न बताती है, जिसने शिवसेना को समर्थन देने के मामले में उसकी अनिच्छा बढ़ाने का काम किया. कांग्रेस ने अंत में शिवसेना का जिक्र किए बिना कहा कि वह शरद पवार के साथ विचार विमर्श करेगी