क्यों हुआ जेएनयू में स्वामी विवेकानंद काअनादर

 


क्यों हुआ जेएनयू में स्वामी विवेकानंद काअनादर


आर. के.  सिन्हा


जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयूमेंअभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और फीस बढ़ोतरी केविरोध की आड़ में टुकड़े टुकड़े गैंग एकबार फिरसे सक्रिय हो गया है। जेएनयू में फीस वापसीको वापस लिए जाने के बाद स्वामी विवेकानंदकी प्रतिमा के साथ छेड़छाड़ करना निंदनीय होनेके साथ घृणित भी है। जेएनयू से संसद तकमार्च और राष्ट्र विरोधी विचारों को स्थापित करनेका प्रयास को किसी भी तरह से सही नहीं मानाजा सकता है। देश के शीर्ष विश्वविद्यालय सेनिकला यह संदेश पूरे विश्व में देश की छवि कोनुकसान पहुंचाने वाला है। 


जेएनयू में बौद्धिकता के नाम पर केंद्र कीसरकार विरोधी रवैया के साथ राष्ट्रीय मीडिया केखिलाफ नारेबाजी के दौरान छात्रों की भीड़ मेंआपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल गैर संवैधानिकभी है। फीस बढ़ोतरी को वापस लिए जाने केबाद भी लगातार विरोध प्रदर्शन करना इस बातको दर्शाता है कि छात्रों की अगुवाई करने केनाम पर कुछ लोग शिक्षा के मंदिर के माहौल कोबिगाड़ना चाहते हैं। इनकी साफ मंशा है किजेएनयू में शिक्षा का माहौल किसी भी तरह से रहे। इनके नापाक मंसूबों को समझने के साथऐसे लोगों के चेहरे के पीछे छिपे चेहरे को भीबेनकाब करना होगा कि ये लोग किसके इशारेपर विश्वविद्यालय और कुलपति विरोधीअभियान चला रहे हैं। 


जब जेएनयू के कुलपति जगदीश कुमार नेरविवार (17 नवंबरको विश्वविद्यालय कीवेबसाइट पर छात्रों से अपील की कि वे अपनीपढ़ाई पर ध्यान दें क्योंकि परीक्षाएं नजदीक हैं।उन्होंने कहा है कि आप लोग कक्षाओं में लौटआइएहड़ताल पर अड़े रहने से उनके भविष्यपर असर पड़ेगा। लेकिन हड़ताल करने वालेछात्रों के एजेंडे में कुलपति को हटाने के लिए हरसंभव कोशिश करना है  कि उनकी बात कोमानना। 


संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान जेएनयू सेसंसद तक मार्च करने की नीति किसी मुद्दे केसमाधान के बजाय सिर्फ लाइम लाइट में आनेकी साजिश लगती है। विश्वविद्यालय में शिक्षाका माहौल खराब करने के बाद अब सामान्यलोगों के जन जीवन को भी प्रभावित करने कीयह साजिश मालूम पड़ती है। 


इस बीच राज्य सभा में जेएनयू के छात्रों पर 18नवम्बर को दिल्ली में पुलिस के कथित एक्शनपर हंगामा हुआ कुछ सदस्यों ने पुलिस कारवाईकी निंदा की इसमें कोई शक नहीं है कि पुलिसछात्रों पर कठोर कार्रवाई करने से बच सकती थी परएक सवाल यह भी है कि क्या जेएनयू  केछात्रों को निषेधयता तोड़ने का अधिकार किसनेदे दिया था  दिल्ली पुलिस छात्रों को बार-बारसमझा रही थी कि उन्हें संसद में मार्च कीइजाजत नहीं है  इसके बाबजूद छात्र पुलिस कीघेराबंदी तोड़ते रहे क्या छात्रों के व्यवहार कोउचित ठहराया जा सकता हैनिश्चित रूप से जोकुछ हुआ उनकी भर्त्सना की जानी चाहिए औरदोषियों पर कार्रवाई भी होगी पर भारत के इतनेप्रतिष्ठित विश्वविद्यालय के छात्रों को भी समझनाहोगा कि वे कानून से ऊपर नहीं हैं  18 नवम्बरको ही केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्रालय नेजेएनयू के छात्रों की मांगों पर विचार करने केलिए एक कमिटी का गठन कर दिया था परछात्र तो मार्च निकलने पर आमदा थे  वे एकतरफ आरोप लगा रहे थे कि जेएनयू भी.सी.उनसे मिलते नहीं